रवीश कुमार को भक्त दे रहे हैं जान से मारने की धमकी और अश्लील गालिया रविश कुमार ने पोस्ट की स्क्रीनशॉट अपने फेसबुक अकाउंट पे
पवन कुमार और निशु प्रताप सिंह के दिमाग़ में ज़हर किसने भरा है?
आज सुबह सुबह पवन कुमार का व्हाट्स अप मेसेज आया। दो गालियां लिखी थीं। इसके आगे वह कुछ नहीं लिख पाया या लिखना नहीं चाहता होगा। वही मां और बहन को लेकर दी जाने वाली भारतीय संस्कृति की अनुपम गालियां। पवन कौन है, क्या करता है, मुझे नहीं पता। आप जानते हों तो पवन जैसे नौजवानों की मदद कीजिए।
इनके मन में किसने यह ज़हर भरा है, उसे ठीक से समझिए। पवन को राज्य व्यवस्था की तमाम नाइंसाफियों से कोई घृणा नहीं है। करोड़ों बेरोज़गारों को लेकर किसी से कोई घृणा नहीं है। सरकार के मंत्री और कई बार प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं, उससे घृणा नहीं हैं। मुझसे है। मुझसे क्यों हैं?
मेरे फोन पर तीन दिनों से लगातार फोन आ रहे हैं। मेरा नंबर सार्वजनिक करने का अपराध किया गया है। इसलिए अब मैं भी गाली देने वालों के नंबरों की सूची यहां ज़ाहिर करूंगा ताकि किसी रिसर्चर के लिए यह एक रिकार्ड का काम करे। कोई लोकतंत्र को ख़त्म करने में गाली देने वाले इन नौजवानों पर शोध कर रहा हो या करेगा तो इन नंबरों के सहारे इन तक पहुंच सकेगा। आप लोग नंबर का उपभोग पवन को गाली देने में न करें। उसे किसी प्रकार की मानसिक परेशानी नहीं होनी चाहिए। वह खुद ही परेशान है। वह अपने नेता को गाली नहीं दे सकता तो मुझे दे रहा है। अगर इससे उसके मन को शांति मिलती है अच्छी बात है।
अब पता नहीं कि निशु और पवन की तस्वीर वही है या किसी और की लगा रखी है। अपना ही नंबर है या आई टी सेल ने इन्हें अलग से नंबर दिए हैं।
निशु प्रताप सिंह का हेयर स्टाइल कितना अच्छा है। देखने में भी बांका जवान लगता है। निशु ने व्हाट्स अप किया है कि बुखार से मरे नहीं, ज़िदो हो सर?
निशु ने कुछ दिन पहले भी मेसेज किया था कि "अभी बुखार आया है, काश मौत आ जाए आपको क्योंकि आपका भौंकना सुन सुन कर थक गए हैं। "
ईश्वर निशु की आयु लंबी करे और सर पर बाल ज़रूर रखे। घने बालों का झोंटा निशु पर खूब जमता है। निशु बिना बालों के अच्छा नहीं गेगा। निशु से यही कहना चाहूंगा कि उसके नेता ने उसके जैसे जवानों के दिमाग़ में ज़हर भर दिया है। वह बीमार हो गया है। नेता अपना शौक पूरा कर रहा है। काम तो उससे हो नहीं रहा लेकिन निशु के जवानों को बर्बाद कर रहा है ताकि वे खाली बैठे दूसरे के मरने की कामना करें और गालियां देते रहें।
मोदी ज़रूर प्रधानमंत्री बनेंगे और हैं भी। इसके लिए गाली देने की संस्कृति की कोई ज़रूरत नहीं। आप जैसे जवानों को मोदी का लठैत नहीं बनना चाहिए। उनके पास पहले से ही अंबानी अदानी हैं। आपकी ज़रूर जल्दी ही समाप्त होने वाली है। नीरव मोदी भी हैं। वे जब चाहेंगे नई उम्र के नए लठैत ले आएंगे और आपको चलता कर देंगे। आपका जीवन बर्बाद हो जाएगा। समझो इस बात को।
नरेंद्र मोदी ने जिस राजनीतिक संस्कृति की बुनियाद डाली है वह फल फूल चुकी है। गाली गलौज की इस संस्कृति के बिना भी उनका समर्थन किया जा सकता है। उन्हें पसंद किया जा सकता है। आप कहेंगे कि इससे उनका रिश्ता नहीं है मगर यह आई टी सेल की मानसिकता एक संगठित तरीके से पैदा की गई है। तभी तो हज़ारों लोग पिछले तीन दिनों से फोन कर रहे हों। इन सबकी विचारधारा और भाषा वही है।
गाली देने वालों का यह दस्ता एक दिन संघ को भी बर्बाद कर देगा। ये जब बड़े होंगे, ओहदे पर पहुंचेंगे तो इनके पास यही भाषा होगी। यही लोग संघ का भी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं या करेंगे। इनके तमाम प्रतीक चिन्हों को देखिए, गर्व से संघ का बताते हैं। उसकी विचारधारा को ढोते हैं।
कल जिस व्यक्ति ने मेरी मां के बारे में अपशब्द कहे थे, उन्हें मेरे एक मित्र ने फोन कर दिया। लड़के के पिता ने बताया कि वे भी आर एस एस से जुड़े रहे हैं। अब आर एस एस के लोगों की यह भाषा और सोच है तो क्या किया जा सकता है। एक दिन गालियों का यह सैलाब संघ के हेडक्वार्टर में भी घुस जाएगा। इन्हें पता नहीं कि मोहन भागवत मेरी कितनी इज्ज़त करते होंगे। जो वो नहीं बोल सकते आज के दौर में, मैं वो बोल देता हूं। मन ही मन मुस्कुराते भी होंगे और धन्यवाद भी देते होंगे। कभी उन्हीं से सीधे पूछ लीजिएगा मेरे बारे में।
लोग जो कमेंट बाक्स में गालियां देते हैं, वे नागरिकों के बीच लोकतांत्रिकता समाप्त करने की निशानी छोड़ रहे हैं। ऐतिहासिक दस्तावेज़। ये वो लोग हैं जो अपनी तरफ से लोकतंत्र को ख़त्म कर रहे हैं। जनता के बीच जनता बनकर जनता को ख़त्म कर रहे हैं। दुनिया में पहले भी ऐसे गालीबाज़ हुए हैं। इनका नाम लोकतंत्र को ख़त्म करने में ही लिया जाता है।
मेरे फोन पर लगातार फोन आ रहे हैं। रात भर फोन बजता रहा। सैंकड़ों मिस्ड कॉल है। एक फोन स्पेन से आ रहा है। एक रोमानिया और चिली से भी आया। इनके भी स्क्रीन शाट दे रहा हूं। आप में से कोई रोमानिया, चिली और स्पेन में हैं तो इनसे मिलकर प्यार से समझाइये, कि किसी के निजी नंबर पर इस तरह ट्रोल करना ठीक नहीं है।
आख़िर में - पोस्ट करने के बाद सुरेश शर्मा जी का कमेंट आया कि कुछ टुच्चे होते ही हैं गाली के लायक। शर्मा जी के प्रोफ़ाइल का स्क्रीन शाट देखिए। खुद को बीजेपी का कार्यकर्ता लिखते हैं। अब आप समझ गए होंगे कि गालियों की इस संस्कृति को किस पार्टी का समर्थन हासिल है (रविश कुमार)
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आज सुबह सुबह पवन कुमार का व्हाट्स अप मेसेज आया। दो गालियां लिखी थीं। इसके आगे वह कुछ नहीं लिख पाया या लिखना नहीं चाहता होगा। वही मां और बहन को लेकर दी जाने वाली भारतीय संस्कृति की अनुपम गालियां। पवन कौन है, क्या करता है, मुझे नहीं पता। आप जानते हों तो पवन जैसे नौजवानों की मदद कीजिए।
इनके मन में किसने यह ज़हर भरा है, उसे ठीक से समझिए। पवन को राज्य व्यवस्था की तमाम नाइंसाफियों से कोई घृणा नहीं है। करोड़ों बेरोज़गारों को लेकर किसी से कोई घृणा नहीं है। सरकार के मंत्री और कई बार प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं, उससे घृणा नहीं हैं। मुझसे है। मुझसे क्यों हैं?
मेरे फोन पर तीन दिनों से लगातार फोन आ रहे हैं। मेरा नंबर सार्वजनिक करने का अपराध किया गया है। इसलिए अब मैं भी गाली देने वालों के नंबरों की सूची यहां ज़ाहिर करूंगा ताकि किसी रिसर्चर के लिए यह एक रिकार्ड का काम करे। कोई लोकतंत्र को ख़त्म करने में गाली देने वाले इन नौजवानों पर शोध कर रहा हो या करेगा तो इन नंबरों के सहारे इन तक पहुंच सकेगा। आप लोग नंबर का उपभोग पवन को गाली देने में न करें। उसे किसी प्रकार की मानसिक परेशानी नहीं होनी चाहिए। वह खुद ही परेशान है। वह अपने नेता को गाली नहीं दे सकता तो मुझे दे रहा है। अगर इससे उसके मन को शांति मिलती है अच्छी बात है।
अब पता नहीं कि निशु और पवन की तस्वीर वही है या किसी और की लगा रखी है। अपना ही नंबर है या आई टी सेल ने इन्हें अलग से नंबर दिए हैं।
निशु प्रताप सिंह का हेयर स्टाइल कितना अच्छा है। देखने में भी बांका जवान लगता है। निशु ने व्हाट्स अप किया है कि बुखार से मरे नहीं, ज़िदो हो सर?
निशु ने कुछ दिन पहले भी मेसेज किया था कि "अभी बुखार आया है, काश मौत आ जाए आपको क्योंकि आपका भौंकना सुन सुन कर थक गए हैं। "
ईश्वर निशु की आयु लंबी करे और सर पर बाल ज़रूर रखे। घने बालों का झोंटा निशु पर खूब जमता है। निशु बिना बालों के अच्छा नहीं गेगा। निशु से यही कहना चाहूंगा कि उसके नेता ने उसके जैसे जवानों के दिमाग़ में ज़हर भर दिया है। वह बीमार हो गया है। नेता अपना शौक पूरा कर रहा है। काम तो उससे हो नहीं रहा लेकिन निशु के जवानों को बर्बाद कर रहा है ताकि वे खाली बैठे दूसरे के मरने की कामना करें और गालियां देते रहें।
मोदी ज़रूर प्रधानमंत्री बनेंगे और हैं भी। इसके लिए गाली देने की संस्कृति की कोई ज़रूरत नहीं। आप जैसे जवानों को मोदी का लठैत नहीं बनना चाहिए। उनके पास पहले से ही अंबानी अदानी हैं। आपकी ज़रूर जल्दी ही समाप्त होने वाली है। नीरव मोदी भी हैं। वे जब चाहेंगे नई उम्र के नए लठैत ले आएंगे और आपको चलता कर देंगे। आपका जीवन बर्बाद हो जाएगा। समझो इस बात को।
नरेंद्र मोदी ने जिस राजनीतिक संस्कृति की बुनियाद डाली है वह फल फूल चुकी है। गाली गलौज की इस संस्कृति के बिना भी उनका समर्थन किया जा सकता है। उन्हें पसंद किया जा सकता है। आप कहेंगे कि इससे उनका रिश्ता नहीं है मगर यह आई टी सेल की मानसिकता एक संगठित तरीके से पैदा की गई है। तभी तो हज़ारों लोग पिछले तीन दिनों से फोन कर रहे हों। इन सबकी विचारधारा और भाषा वही है।
गाली देने वालों का यह दस्ता एक दिन संघ को भी बर्बाद कर देगा। ये जब बड़े होंगे, ओहदे पर पहुंचेंगे तो इनके पास यही भाषा होगी। यही लोग संघ का भी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं या करेंगे। इनके तमाम प्रतीक चिन्हों को देखिए, गर्व से संघ का बताते हैं। उसकी विचारधारा को ढोते हैं।
कल जिस व्यक्ति ने मेरी मां के बारे में अपशब्द कहे थे, उन्हें मेरे एक मित्र ने फोन कर दिया। लड़के के पिता ने बताया कि वे भी आर एस एस से जुड़े रहे हैं। अब आर एस एस के लोगों की यह भाषा और सोच है तो क्या किया जा सकता है। एक दिन गालियों का यह सैलाब संघ के हेडक्वार्टर में भी घुस जाएगा। इन्हें पता नहीं कि मोहन भागवत मेरी कितनी इज्ज़त करते होंगे। जो वो नहीं बोल सकते आज के दौर में, मैं वो बोल देता हूं। मन ही मन मुस्कुराते भी होंगे और धन्यवाद भी देते होंगे। कभी उन्हीं से सीधे पूछ लीजिएगा मेरे बारे में।
लोग जो कमेंट बाक्स में गालियां देते हैं, वे नागरिकों के बीच लोकतांत्रिकता समाप्त करने की निशानी छोड़ रहे हैं। ऐतिहासिक दस्तावेज़। ये वो लोग हैं जो अपनी तरफ से लोकतंत्र को ख़त्म कर रहे हैं। जनता के बीच जनता बनकर जनता को ख़त्म कर रहे हैं। दुनिया में पहले भी ऐसे गालीबाज़ हुए हैं। इनका नाम लोकतंत्र को ख़त्म करने में ही लिया जाता है।
मेरे फोन पर लगातार फोन आ रहे हैं। रात भर फोन बजता रहा। सैंकड़ों मिस्ड कॉल है। एक फोन स्पेन से आ रहा है। एक रोमानिया और चिली से भी आया। इनके भी स्क्रीन शाट दे रहा हूं। आप में से कोई रोमानिया, चिली और स्पेन में हैं तो इनसे मिलकर प्यार से समझाइये, कि किसी के निजी नंबर पर इस तरह ट्रोल करना ठीक नहीं है।
आख़िर में - पोस्ट करने के बाद सुरेश शर्मा जी का कमेंट आया कि कुछ टुच्चे होते ही हैं गाली के लायक। शर्मा जी के प्रोफ़ाइल का स्क्रीन शाट देखिए। खुद को बीजेपी का कार्यकर्ता लिखते हैं। अब आप समझ गए होंगे कि गालियों की इस संस्कृति को किस पार्टी का समर्थन हासिल है (रविश कुमार)
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