एक वक़्त था की इज़हार -ऐ-मोहब्बत के हमें शब्द नहीं मिलते थे मेहरबानी तेरी Shayari - Fakharpur City
एक वक़्त था की इज़हार -ऐ-मोहब्बत के हमें शब्द नहीं मिलते थे मेहरबानी तेरी बेवफ़ाई की हमको शायर बना दिया..
अच्छा करते हैं वो लोग जो मोहब्बत का इज़हार नहीं करते, ख़ामोशी से मर जाते हैं मगर किसी को बदनाम नहीं करते…
मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया, मेरी कश्ती को दरिया पार करना ही नहीं आया.
ज़ख़्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें; हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें; मर गए हम मगर खुली रही ये आँखें; अब इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करें
इज़हार-ए-इश्क करें तो कॆसे वो नज़रें मिलाता नहीं पर लफ्ज़ मेरा साथ देते नहीं। अब तुम ही बताओ हम उनसे इज़हार-ए-इश्क करें तो कॆसे
इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका, बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते
देख मज़ाक ना उड़ा गरीब का इज़हार-ए-मोहब्बत के नाम पर सच बोल…! झूठ कहा था न के “तुमसे प्यार करती हूँ
आप हमसे Facebook Twitter Instagram YouTube Google Plus पर भी जुड़ सकते हैं
फ़ोटो साभार गूगल |
अच्छा करते हैं वो लोग जो मोहब्बत का इज़हार नहीं करते, ख़ामोशी से मर जाते हैं मगर किसी को बदनाम नहीं करते…
इज़हार कर देना वरना,एक ख़ामोशी उम्रभर का इंतजार बन जाती है
भीगते बारिश के इस मौसम में कुछ ऐसे उनका दीदार हुआ, एक पल में उनसे महोब्बत हुई ज़िन्दगी भर उसका इज़हार हुआ
कर दिया “हमनें” भीं “इज़हार-ए-मोहब्बत” फोन पर लाख” रूपये की बात थी, “एक” रूपये में हो गयी
मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया, मेरी कश्ती को दरिया पार करना ही नहीं आया.
बडी शिद्धत के साथ प्यार का इज़हार करने चले थे | पर उसने मुझ से पहले एैसा करके ज़ुबां पर ताला लगा दिया
एक इज़हार-ए-मोहब्बत ही बस होता नहीं हमसे, हमसा माहिर जहाँ में वरना और कौन है…
ज़ख़्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें; हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें; मर गए हम मगर खुली रही ये आँखें; अब इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करें
मेरी शायरी मेरे तजुरबो का इज़हार है, और कुछ भी नहीं सोचता हूँ की कोई तो संभल जाएगा, मुझे पढने के बाद
तेरी आँखो का इज़हार मै पढ़ सकता हूँ पगली किसी को अलविदा युँ मुस्कुराकर नहीं कहते
इज़हार-ए-इश्क करें तो कॆसे वो नज़रें मिलाता नहीं पर लफ्ज़ मेरा साथ देते नहीं। अब तुम ही बताओ हम उनसे इज़हार-ए-इश्क करें तो कॆसे
जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है, रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है
इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका, बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते
हमने हमारे इश्क़ का, इज़हार यूँ किया… फूलों से तेरा नाम, पत्थरों पे लिख दिया
देख मज़ाक ना उड़ा गरीब का इज़हार-ए-मोहब्बत के नाम पर सच बोल…! झूठ कहा था न के “तुमसे प्यार करती हूँ
आप हमसे Facebook Twitter Instagram YouTube Google Plus पर भी जुड़ सकते हैं
No comments