Header Ads

ad728
  • Breaking News

    20 अप्रेल को विश्व हिंदू परिषद से जुड़े अभिषेक मिश्रा ने ओला कैब बुक करके रद्द करदी थी पढ़िए अमर उजाला की एडिटर रीवा सिंह ने अपनी वाल पे बहुत खूबसूरत जवाब दिया है

    20 अप्रेल को विश्व हिंदू परिषद से जुड़े अभिषेक मिश्रा ने ओला कैब बुक करके रद्द करदी थी ट्विटर पर ट्वीट कर वजह बताई थी कि चालक मुस्लिम था इसलिए रद्द करदी बुकिंग में अपने पैसे जिहादी लोगो को नही देना चाहता हूँ जिस पर अमर उजाला की एडिटर रीवा सिंह ने अपनी वाल पे बहुत खूबसूरत जवाब दिया है

    ओला कैब का इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि देशभक्ति उबाल मार रही है और ड्राइवर मुस्लिम है, और मुस्लिम कोई क़ौम नहीं है, एक वर्ग है जिसका अर्थ है देशद्रोही!
    आप नक्सली होकर, बम बनाकर, बैंक लूटकर, घोटाले कर के, उग्रवादी होकर, आतंकवादी होकर जितने देशद्रोही हो सकते हैं उतने मुस्लिम होने भर से हो जाते हैं। और मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है।

    तो बहिष्कार शुरू होना चाहिए, आइए शुरू करते हैं -

    कैब ही नहीं, ऑटो, रिक्शा, बस वगैरह में भी ड्राइवर्स होते हैं। उनका नाम भी कंफ़र्म कर लें, कहीं ग़लती से किसी मुस्लिम की सेवा न ले ली जाए। उसके घर की रोटी के लिए हम क्यों पैसे दें।

    इन सबसे बचने के लिए आप ख़ुद के वाहन (बाइक, कार) का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन फिर ध्यान रहे कि वो पेट्रोल से न चलती हो नहीं तो गल्फ़ देशों का हम पर उपकार हो जाएगा और गल्फ़ मतलब मुस्लिम। इलेक्ट्रिक कारों के आने तक का इंतज़ार करें या फिर पदयात्रा या घोड़े और सारथी का जुगाड़ कर लें।

    गऊ माता के तो भक्त हैं ही हम, अब मटन-चिकन खाना भी छोड़ दें। ये वक़्त है शुद्ध शाकाहारी होने का क्योंकि सलीम और उस्मान जैसे कसाइयों के हाथ का कटा मीट लाएंगे तो उनकी दुकान चलेगी। अब होली भी शाकाहारी हो।
    कपड़ों के शौकीन हैं? भारतीय परिधानों में भी कम वैराइटी थोड़े न है, उसमें ही ख़ुद को संवारें। डिज़ाइनर्स में आपको पता भी न चलेगा किस मुस्लिम ने आपकी ब्लाउज़, आपकी स्कर्ट या आपकी शेरवानी डिज़ाइन की है। अब शादियां भी धोती-कुर्ता में हों, सस्ता और देसी!

    बाल कटवाते हैं क्या? लेटेस्ट ट्रेंड्स का शौक है? ये सब बेकार की बातें हैं। हमारे पूर्वजों के लम्बे बाल हुआ करते थे। पता चला आप लेटेस्ट हेयरकट और लुक्स के चक्कर में जावेद-हबीब या और किसी सैलॉन में पहुंच गये तो बाल तो बन जाएंगे लेकिन एक मुसलमान के लिए आपको जेब ढीली करनी पड़ सकती है।

    ए-वन रेस्टोरेंट्स में खाने के शौकीन हैं? पर क्यों! घर पर बनाइए न जो भी खाना हो। थक नहीं जाएंगे वेटर की नेम-प्लेट पढ़ते-पढ़ते! और अंदर कौन शेफ़ है ये तो राम लला ही जानें। तो फिर मुगलई, इटैलियन, मैक्सिकन, चाइनीज़ ही नहीं! डॉमिनोज़, केएफ़सी, मैक-डी, वाव मोमोज़, बर्गर किंग - सबको दिमाग के रिसायकल बिन में डाल दें। अब पेट तभी भरेगा जब घर पर चूल्हा जलेगा।
    भारत माता के लिए इतना तो किया ही जा सकता है।

    आप हमसे Facebook Twitter Instagram YouTube पर भी जुड़ सकते है

    No comments

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728