शायर रेहान हासमी की कुछ शानदार शायरी अच्छी लगे तो शेयर करें
आज आप की मुलाक़ात उस सख्सियत से करते हैं जो मुशायरो की दुनिया में तो एक अलग पहचान बनाई ही है
लेकिन वो समाज सेवा में भी अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं जी हां हम बात कर रहे हैं रेहान हासमी जी की आज कल रेहान हासमी की सोशल मीडिया पर वीडियो काफी वायरल हो रही हैं अक्सर गरीबो की मदद करते देखे जाते हैं
नवजवान युवाओ की धड़कन बने रेहान हासमी जब अपनी शायरी पढ़ते हैं मुशायरो में तो युवाओ में बहुत इत्तिहाद पैदा होता है आइये उनकी कुछ शायरी पढ़ते हैं
वीडियो रेहान हासमी
दिल धड़कन और जान है हिंदुस्तान में हम क्या जाने क्या है पाकिस्तान में और तुझमे हो औकात तो खुल्लम खुल्ला आ गाढ़ के रख देंगे मैदान में
यह कौन कह रहा है तलवार लेके चल दुनिया सलाम ठोकेगी किरदार लेके चल और जो चल रहा है किसी सरकार के पीछे तू ऐसा बन की सरकार पीछे लेके चल
कभी टीपू कभी असफाक के दर से सदा देता जो है तारीख वो तारीख दोहरा कर बता देता में अगर हनुमान होता में तो सीना चिर कर अपना तुम्हें सीने में हिंदुस्तान का नक्सा दिखा देता
दुनिया मे ढूंढता रहा बागे बहिश्त को क़दमों में माँ के इसलिए जन्नत नही मिली ताउम्र माँ के शेर मैं पढ़ता रहा मगर माँ की दवा को लाने की फुरसत नही मिली
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लेकिन वो समाज सेवा में भी अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं जी हां हम बात कर रहे हैं रेहान हासमी जी की आज कल रेहान हासमी की सोशल मीडिया पर वीडियो काफी वायरल हो रही हैं अक्सर गरीबो की मदद करते देखे जाते हैं
नवजवान युवाओ की धड़कन बने रेहान हासमी जब अपनी शायरी पढ़ते हैं मुशायरो में तो युवाओ में बहुत इत्तिहाद पैदा होता है आइये उनकी कुछ शायरी पढ़ते हैं
दिल धड़कन और जान है हिंदुस्तान में हम क्या जाने क्या है पाकिस्तान में और तुझमे हो औकात तो खुल्लम खुल्ला आ गाढ़ के रख देंगे मैदान में
हम प्यार अपने मुल्क से जाली नही करते पुरखो की विरासत कभी खाली नही करते छाती पे चढ़ के बोलना आदत है हमारी हम लोग हुकूमत की दलाली नही करते
यह कौन कह रहा है तलवार लेके चल दुनिया सलाम ठोकेगी किरदार लेके चल और जो चल रहा है किसी सरकार के पीछे तू ऐसा बन की सरकार पीछे लेके चल
हमें अब न रहनुमा और न रहबर की जरूरत है हमारी रहनुमाई के लिए क़ुरान जिन्दा है और वतन की सरजमी को नाज है मेरी सहादत पर की मेरे खून के कतरो में हिंदुस्तान जिन्दा है
कभी टीपू कभी असफाक के दर से सदा देता जो है तारीख वो तारीख दोहरा कर बता देता में अगर हनुमान होता में तो सीना चिर कर अपना तुम्हें सीने में हिंदुस्तान का नक्सा दिखा देता
- सब के अहवाल से रहना है रूबरू मुझ को अपनी दीवार ही छोटी बना रहा हूँ मैं मेरे बच्चे मेरे जादू के इन्तेज़ार में हैं चाँद के टूकड़े को रोटी बना रहा हूँ मैं
दुनिया मे ढूंढता रहा बागे बहिश्त को क़दमों में माँ के इसलिए जन्नत नही मिली ताउम्र माँ के शेर मैं पढ़ता रहा मगर माँ की दवा को लाने की फुरसत नही मिली
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