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    आसाम में एक मुस्लिम परिवार को विदेशी कहकर एक महिला और एक बच्चे को तेज़पुर जेल में डाल दिया पिता की सदमे से मौत हो गई

    ऐसा लग रहा जैसे भारत में मुसलमान होना एक अपराधी जैसा है यूं कहो कि मुसलमान भारत मे पैदा होते ही अपराधी हो जाता है हिंदुत्व और प्रसासन की नजर में जहां देखे वहां पर मुस्लिमों पर जुल्म हो रहा है भारत के हर राज्य में मुसलमानों के खिलाफ यही साजिश हो रही कहीं गाय के नाम पर तो कहीं पाकिस्तान के नाम पर तो कहीं विदेशी कहकर जेल में डाल दिया जाता है

    और यह सब उस सरकार की देख रेख में हो रहा जो सत्ता में आई थी विकाश के नाम पर सबका साथ सबका विकाश के नाम पर लेकिन जब विकाश नही कर पाई तो हिन्दू मुस्लिम के नाम पर गाय पाकिस्तान के नाम पर मुस्लिमो को मारने पीटने लगी।

    महज अपने कुछ संगठनों को खुस करने के लिए दुनिया से छुपा नही है गुजरात वाला दंगा लेकिन फिर भी मुस्लिम समुदाय यही सोच रहा था कि मोदी सरकार आई है सबका साथ सबका विकाश का नारा लेके तो कुछ मुस्लिमो को राहत मिलेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नही है प्रधानमंत्री जी मन की बात में तरह तरह की बातें करते हैं भाईचारे का संदेश देते हैं यहां तक कि मुसलमानों के लिए आधिकारिक उर्दू की वेबसाइट भी निकल ते हैं फिरभी संघियों वाली सोच बरकरार है देश में।

    अभी खबर आरही है सोशल मीडिया के माध्यम से आसाम में एक मुस्लिम परिवार को विदेशी कहकर जेल में डाल दिया गया

    तस्वीर में जो आप देख रहे हैं ये बिमला खातून है असम की
    बिमला चार बेटो की माँ है एक दिन नोटिस में मिला कि वो भारतीय नही है पैसे थे नही न ही कोई वकील मिला दो नोटिस और आयी उसके बाद उनको विदेशी कह कर तेज़पुर जेल भेज दिया गया
    पति इस सदमे को बर्दाश्त नही कर सके और मर गए तीन बच्चे इधर से उधर भटक रहे है और 1 बच्चा जेल में उनके साथ है

    सारे पेपर है सब कुछ है लेकिन गरीबी सब कुछ ले लेती है पहचान भी छीन लेती है बच्चे भटक रहे है बिमल खातून जेल में न खत्म होने वाले इंतेज़ार में है
    एक नही 70 लाख कहानिया है इस वक़्त आसाम में इस तरह की जो किसी के इंतेज़ार में है कि शायद कोई उनके मुकदमो देखे और जो अपने ही देश मे विदेशी बन गए है उनको दुबारा उनकी ज़मीन से जोड़ सके।

    ऐसे ही मामला हर रोज़ सोशल मीडिया से उजागर होते हैं कहीं लव जिहाद के नाम पर मुसलमानों को मार दिया जाता है तो कहीं दाढ़ी देख के पाकिस्तानी बोल के मार दिया जाता है
    तो कहीं विदेशी बोल के जेल में डाल दिया जाता है

    मगर सवाल यह है कि आखिर कब तक यह सब चलता रहेगा अपनी नाकामी छुपाने के लिए कब तक मुसलमानों को निशाना बनाया जाएगा (साभार फुरकान एस खान)

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